कश्मीर घाटी में विकास के लिए लोग खुद आगे आने लगे हैं। कुछ दिनों पहले श्रीनगर-बारामुला राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से में आड़े आ रहे गुरुद्वारे को हटाने के लिए सिखों के तैयार होने के बाद अब मुसलमानों ने अनुकरणीय मिसाल पेश की है।
वह झेलम नदी पर प्रस्तावित पुल के आड़े आ रही 40 साल पुरानी एक मस्जिद को हटाने पर सहमत हो गए हैं। इस पुल का निर्माण वर्ष 2002 से रुका हुआ है।
अधिकारियों ने बताया कि रामपोरा में झेलम नदी पर प्रस्तावित 166 मीटर लंबे दो लेन वाले पुल को बनाने के लिए वर्ष 2002 में 10 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की गई थी।
परंतु इसके रास्ते में मस्जिद, कुछ आवास और व्यावसायिक इमारतों समेत 18 निर्माण आड़े आ रहे थे, जिसके कारण काम अटका हुआ था। श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने कमरवारी के रामपोरा क्षेत्र में अबू तुराब मस्जिद की प्रबंध समिति के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया और सहमति के बाद शनिवार को मस्जिद को हटाने का काम शुरू हो गया।
सरकारी खर्च से बनेगी मस्जिद
समझौते के तहत मस्जिद का पुनर्निर्माण दूसरी जगह पर जिला प्रशासन 12 महीने के अंदर अपने खर्चे पर कराएगा। जम्मू और कश्मीर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (जेकेआईडीएफसी) के माध्यम से 2018 में 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि उपलब्ध कराकर परियोजना की लागत बढ़ाई गई ताकि इसको पूरा किया जा सके।
गुरुद्वारे को शिफ्ट कर चुके हैं सिख
श्रीनगर में विकास के लिए स्थानीय लोगों के आगे आने का यह दूसरा उदाहरण है। इससे पहले डिप्टी कमिश्नर शाहिद चौधरी ने इस माह की शुरुआत में श्रीनगर-बारामुला राष्ट्रीय राजमार्ग पर जैनकोट में ऐतिहासिक दमदमा साहिब गुरुद्वारा के प्रबंधन के साथ सफलता पूर्वक बातचीत कर उनको इस 100 सालपुराने गुरुद्वारे को दूसरे स्थान पर स्थापित करने के लिए तैयार कर लिया था। गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण भी सरकारी खर्च पर किया जाएगा।
इस परियोजना के पूरा होने में आ रही अड़चन को सुलझा लिया गया है, काम फिर से शुरू हो जाएगा। अन्य अड़चनों को दूर करने के लिए भी योजना तैयार की गई है। जिसमें एक फायर स्टेशन और 16 आवासीय और व्यावसायिक इमारतें हैं। उक्त पुल के निर्माण के साथ जिला प्रशासन झेलम के साथ बाढ़ सुरक्षा और सौंदर्यीकरण के लिए काम करेगा। आस-पास की सड़कों की मरम्मत करेगा और क्षेत्र में स्मार्ट प्रकाश व्यवस्था करेगा।