गुरुग्राम बुरे दौर से गुजर रहा है। वर्षों से परिवहन विभाग की इस पर नजर-ए-इनायत नहीं हुई। उल्टा इसकी 6 एकड़ जमीन कौड़ियों के भाव निजी कंपनी को लीज पर दे दी गई। कंपनी ने प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए तीन साल पहले जमीन ली थी, लेकिन आज तक सिर्फ दीवार ही लगाई। एचआरईसी के पास आज खुद के लिए जगह का अभाव है और उसे रोडवेज बसों की चेसिज इधर-उधर खड़ी करनी पड़ रही हैं। प्रशिक्षण केंद्र न बनाने पर कंपनी की लीज रद्द कर जमीन वापस एचआरईसी को सौंपी जा सकती है, मगर परिवहन विभाग इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा। इस जमीन का सदुपयोग कर विभाग घाटे में चल रही कॉरपोरेशन को उबार सकता था, मगर उस दिशा में कदम न उठाने से स्टाफ में अंदरखाने रोष है।