नई दिल्ली, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रावास के नए नियमों के खिलाफ बीते सोमवार से विश्वविद्यालय के छात्र कैंपस में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में छात्र संघ समेत वामपंथी छात्र संगठन से जुड़े छात्र शामिल हैं। साथ ही आम छात्र भी प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों द्वारा प्रशासन पर आरोप लगाया गया है कि वह जेएनयू में कर्फ्यू समय को लागू कर रहे हैं।
इस मामले में बीते सोमवार के दिन इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन कमेटी की बैठक हुई थी। तब छात्रावास के नए नियमों को लागू कर दिया था। जिसका छात्र संघ की तरफ से लगातार विरोध किया जा रहा है। इस सिलसिले में गुरुवार को छात्र संघ ने कुलपति को नोटिस भी दिया था।
शुक्रवार को सफाई दी है कि छात्रावास के नए नियमों पर कुछ प्रेरित छात्रों द्वारा कर्फ्यू समय और ड्रेस कोड पर अफवाएं फैलाई जा रही हैं। बीते 14 सालों में छात्रावास के मेनुअल में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इसके नियमों की 14 साल में समीक्षा नहीं की गई थी। नए नियमों के तहत किसी भी तरह के ड्रेस कोड को शामिल नहीं किया गया है, जो पहले था वही है। इसमें कहा गया है कि खाने के स्थल पर (डाइनिंग हॉल) पर सभी को व्यवस्थित कपड़ों पर आने के लिए निर्देश दिया गया है। पहले भी ये ही कहा गया था।
नए नियमों के तहत यह निर्धारित किया गया है कि पुस्तकालय के बंद होने के बाद छात्र रात 11 बजे तक या इससे आधे घंटे बाद तक छात्र अपने छात्रावास में पहुंच जाएं। इस समय के बाद कोई भी छात्र किसी भी तरह की हिंसक घटनाक्रम में शामिल होता पाया गया। जिससे कैंपस के शांतिपूर्ण माहौल में विघ्न पैदा होगा। तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएघी। यह नियम 14 साल पहले के नियम में भी शामिल था।
16 छात्रावास में रहे रहे छात्र नहीं देते थे बिजली समेत अन्य बिल
जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने शुक्रवार को सूचना देते हुए जानकारी दी है कि कैंपस के 16 छात्रावास रह रहे छात्रों द्वारा बिजली बिल, पानी के बिल, सर्विस के बिल समेत अन्य बिलों को नहीं दिया जाता था। इससे जेएनयू पर हर वर्ष 10 करोड़ रुपये का खर्चे आता था। सुबासीर छात्रावास एवं यमुना छात्रावास में रह रहे शादीशुदा शोधार्थियों द्वारा ही बिजली, पानी एवं अन्य बिल दिए जाते रहे हैं। 10 करोड़ रुपपे के फंड को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा नहीं दिया जाता था।